पांच दिनों में, 11 हवन कुंडों के माध्यम से 54 जोड़ों ने दी लाखों आहुतियां
-अखिल भारतीय औदीच्य महासभा का दिव्य आयोजन
-देश भर से सैकड़ों समाजजन ने की निशुल्क सहभागिता
-अभा औदीच्य महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिवनारायण जी पटेल ने माना आभार
इंदौर। अखिल भारतीय औदीच्य महासभा ने तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में ‘परंपरा महोत्सव’ के तहत पांच दिवसीय (1 से 5 फरवरी) ‘शिव-शक्ति महायज्ञ’ का आयोजन किया। विश्व शांति एवं देश की प्रगति के लिए आयोजित शिव-शक्ति महायज्ञ की पूर्णाहुति पांच फरवरी को हुई।ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर की नगरी में पवित्र नर्मदा किनारे हुए इस धार्मिक आयोजन का लाभ लेने बड़ी संख्या में समाजजन ओंकारेश्वर पहुंचे। औदीच्य महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिवनारायण जी पटेल ने सफल आयोजन के लिए सभी का हृदय से आभार व्यक्त किया है।
सितंबर 2021 में वड़ताल (गुजरात) में ‘संकल्प महोत्सव’ और उज्जैन में मई 2022 में ‘संस्कार महोत्सव’ के सफल आयोजन के बाद अखिल भारतीय औदीच्य महासभा ने ‘परंपरा महोत्सव’ के तहत पांच दिवसीय शिव-शक्ति महायज्ञ का आयोजन किया। औदीच्य ब्राह्मण समाज जन के लिए निशुल्क और तीर्थ नगरी के पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी, श्री कार्तिकेय निवास, ब्रह्मपुरी (झूला पुल के पास) स्थित परिसर में आयोजित इस भव्य आयोजन में उज्जैन के श्री सोहन भट्ट जी के आचार्यत्व एवं 11 आचार्यों के सहयोग से 11 हवन कुंडो में 54 जोड़ों ने लाखों आहुतियां दीं। एक फरवरी को ‘कन्या पूजन’ के साथ शिव-शक्ति महायज्ञ का श्रीगणेश हुआ। 2 फरवरी को गौ पूजन, 3 फरवरी को मां नर्मदा चुनरी अर्पण, 4 फरवरी को पार्थिव अभिषेक और 5 फरवरी महा आरती और महा प्रसादी वितरण हुआ।
यज्ञ का उद्देश्य
औदीच्य महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और शिव-शक्ति महायज्ञ के मुख्य यजमान श्री शिवनारायण जी पटेल ने बताया कि यज्ञ का मुख्य उद्देश्य धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को सद्प्रयोजन के लिए संगठित करना और समूह में एकत्र हो मंत्र उच्चारण के माध्यम से मन और भाव को केंद्रित करना है। सनातन व्यवस्था में सामूहिक प्रार्थना को अधिक प्रभावशाली माना गया है। ‘शिवशक्ति महायज्ञ’ में शिव और शक्ति (दुर्गा) की स्तुति होती है। शिव की नगरी में नर्मदा के तट पर होने से इस विशेष यज्ञ का विशेष महत्व कई गुना हो गया।
कन्या पूजन का महत्व
कन्या पूजन से ‘शिव-शक्ति महायज्ञ’ की शुरुआत पर आपने कहा कि कन्या पूजन से देवी प्रसन्न होती हैं। पूजन, हवन, दान से भी अधिक प्रसन्नता माता को कन्या पूजन से मिलती है। शास्त्रों में कहा गया है कि 3 साल की कन्या को भोजन करवाने और पूजन करने से त्रिदेवी लक्ष्मी, सरस्वती और काली की पूजा का फल मिलता है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं।
गौ माता का पूजन
इसी तरह यज्ञ के पुण्य और तीर्थ नहाने का जो फल मिलता है, वह फल गौ माता को चारा डालने से ही प्राप्त हो जाता है। विष्णुधर्मोत्तर पुराण के अनुसार व्यक्ति के किसी भी अनिष्ट की निवृत्ति के लिए गौ माता के पूजन का विधान किया गया है। पार्थिव शिवलिंग अभिषेक से जन्म जन्मान्तर के पाप नष्ट हो जाते हैं, अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और भगवान भोलेनाथ की कृपा की प्राप्ति होती है।
दमक उठा परिसर
शिव-शक्ति महायज्ञ के प्रथम दिन से ही मंत्रोच्चार और यज्ञ में दी जाने वाली आहुतियों से आयोजन स्थल पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी का वातावरण शिवमय हो गया। जो यजमान किसी वजह से यज्ञ में सहभागिता नहीं कर पाए, उन्हें भी पुण्य लाभ उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से यज्ञ स्थल पर परिक्रमा पथ बनाया गया था। परिक्रमा पथ से यज्ञ वेदियों की परिक्रमा कर ऐसे यजमानों ने पुण्य लाभ अर्जित किया।
हृदय से आभार
श्री पटेल ने आयोजन को विधि विधान से संपन्न करवाने वाले उज्जैन के पं. सोहन जी भट्ट, उनके सहयोगियों, भाग लेने वाले समाज जन और आयोजन को निर्विध्न सम्पन्न करवाने में पिछले एक माह से मेहतन कर रहे समाज जन का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया है। आपने विश्वास दिलाया कि भविष्य में भी समाज जन के लिए इसी तरह के आयोजन किए जाते रहेंगे।